Menu
blogid : 3570 postid : 14

कसाब को फांसी : एक तीर से कई निशाने

dil ki baat
dil ki baat
  • 7 Posts
  • 41 Comments

कसाब को फांसी दिए जाने पर सरकार की खूब वाह वाही हो रही है। कोई न्याय की जीत बता रहा है, कोई 26/11 के शहीदों की आत्मा को शांति। कहीं मिठाइयाँ बंट रही हैं तो कहीं पटाखे छोड़े जा रहे हैं। लेकिन इस सबके पीछे यदि सरकार की मंशा पर गौर किया जाये तो सरकार का बुना जाल साफ़ दिखाई देता है। सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। आतंकवाद को लेकर तरह तरह की आलोचनाएँ झेल रही सरकार, भ्रष्टाचार की दलदल में धंसती सरकार, एफ डी आई के मुद्दे पर विपक्ष की तीखी नाराजगी झेलती सरकार, महगाई और गैस के मुद्दे पर जनाक्रोश से घिरी सरकार ने इन सबसे निपटने का एक नायाब तरीका ढूँढा, कसाब की फाँसी। सब जानते है कि कसाब को देर सबेर फांसी तो होनी ही थी लेकिन बिना बारी के जिस तत्परता से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका ख़ारिज कर उसकी फाइल महाराष्ट्र भेजी गयी और अत्यंत गोपनीय तरीके से फांसी दे दी गयी उससे जनता और विपक्ष सभी हक्के बक्के रह गए। जाहिर है सरकार के रणनीतिकारों ने फांसी का वो समय चुना जब गुजरात चुनाव सर पर है, संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है, केजरीवाल की पार्टी का ऐलान होने जा रहा है। ममता बनर्जी आंखे तरेर रही है।ऐसे में इन सबसे निपटने का एक ही तरीका था कि ऐसा विस्फोट करो कि सब सरकार की वाह कर उठे।कसाब की फांसी से अच्छा विस्फोट क्या हो सकता था। देश और विदेश दोनों ही मोर्चो पर सरकार को तारीफ़ मिलना तय था।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार ने यह सन्देश देने की कोशिश की कि आतंकवाद से निपटने में हम भी कठोर रुख अख्त्यार कर सकते है। हांलाकि अमरीका की तरह आतंकवाद से निपटने में अभी हमे बहुत लम्बा सफ़र तय करना पड़ेगा लेकिन विश्व परिद्रश्य पर अपने लुंज-पुंज रवैये की छवि को कुछ बेहतर बनाने का संकेत अवश्य जाता है।
कसाब की फांसी से पाकिस्तान से हमारे रिश्ते में तल्खी अवश्य बढ़ेगी। हांलाकि पाकिस्तान ऊपर से भले ही आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होने की बात कहे लेकिन दुनिया जानती है कि आतंकी संगठनों को पनाह और समर्थन पाक की जमी पर ही मिलता है। वहां आज भी आतंकवादियों के समर्थन में नारे गूंजते है।कसाब को लेकर भी पाकिस्तान में कट्टरपंथी एकजुट होकर भारत के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रच सकते हैं। सरकार को विशेष सावधानी बरतते हुए पाक से रिश्तों की समीक्षा करनी चाहिए।
कसाब की फांसी का दांव सरकार को कुछ समय तक फौरी राहत तो जरूर दे सकता है लेकिन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश , महगाई और भ्रष्टाचार के तीखे सवालों का जवाब देर सबेर सरकार को देना ही पड़ेगा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh